भारत के प्रमुख लोकनृत्य – Main Folk Dances of India.

भारतीय लोक नृत्य: समृद्धता, संस्कृति और विरासत

भारतीय संस्कृति विश्वभर में अपनी अद्वितीयता और समृद्धता के लिए प्रसिद्ध है। इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा है भारतीय लोक नृत्य, जो देश के विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों में प्रचलित है। ये लोक नृत्य न केवल रंगमंच पर एक कला के रूप में प्रस्तुत होते हैं, बल्कि उनमें भारतीय समाज, संस्कृति और परंपराओं की गहरी धाराएं छुपी होती हैं। इन नृत्यों के माध्यम से विभिन्न समुदायों के सांस्कृतिक और सामाजिक अंतर्निहित भावनाएं, ऐतिहासिक घटनाओं की यादें और सम्प्रदायों के महत्वपूर्ण अवसरों का प्रतीक दिया जाता है।

भारतीय लोक नृत्यों का इतिहास और महत्व

भारतीय लोक नृत्यों का इतिहास बहुत पुराना है और इन्हें स्थानीय भाषा, संस्कृति और परंपराओं से जुड़ा हुआ माना जाता है। ये नृत्य गांवों में जन्म लेते हैं और समुदाय के जीवन, धार्मिक और सामाजिक आयाम को स्पष्ट करते हैं। इन नृत्यों की एक विशेषता यह है कि वे सांस्कृतिक एकता का प्रतीक होते हैं और उन्हें समुदाय के साथियों द्वारा समृद्ध किया गया है। भारतीय लोक नृत्य अपने रूप, रंग, और भावनाओं में विविध होते हैं और उनके पीछे संस्कृति और समाज की गहरी पहचान छिपी होती है।

भारत के प्रमुख लोक नृत्य

विभिन्न राज्यों के लोकनृत्य नीचे दी गई है

क्रम संख्याराज्य का नाम लोक नृत्य का नाम
1.झारखंडसोहराई,घोरा नाच,जाट-जतिन,सरहुल,डोमकच,डंगा,हुंता नृत्य,कर्मा मुंडा,झिटका,मुंडारी नृत्य,बाराव,जननी झूमर,बिदेसिया,अग्नि, मर्दाना झूमर,कर्मा,फगुआ,झूमर,पाइका,छनू
2.बिहार बखो-बखैन,बिदेसिया,जात्रा,समा-चकवा,पंवारिया, जटा-जतिन
3.पश्चिम बंगाल पुरुलिया छऊ, संथाली नृत्य, मरसिया, अलकाप, गंभीरा, चाइबारी नृत्य, मुंडारी नृत्य, कीर्तन, गजन, काठी, बाउल, महल, जात्रा, ढाली
4. ओडिशा छऊ, घुमारा, मुनारी, पेंका, चड्या दंडनाता, सावरी, रणप्पा
5.छत्तीसगढ़मुंडारी, राउत नाचा, कापालिक, नवरानी, झूमर, वेदमती, भरथरी चरित, कर्मा, दिवारी, दगला, तपाली, गौर मारिया, पाली, पंडवानी, चंदैनी, गौड़ी, पंथी
6.उत्तरप्रदेशरासलीला, चैपली, जैता, नौटंकी, झोरा, काजरी
7.उत्तराखंडरासलीला, कजरी, कुमायूनी, गढ़वाली, चैपली, झोरा आदि
8.मध्य प्रदेशमटकी, सेलभदोनी, सेलालार्की, तरतली, फूलपती, मांच, खड़ा नाच, ग्रिडा नृत्य, जवारा, आड़ा आदि
9.हरियाणागुग्गा, झूमर, धमाल, गागोर, फाग नृत्य, डैफ, खोर, लूर
10.राजस्थानगिनाद, सुइसिनी, पनिहारी, घपाल, कालबेलिया, झूलन लीला, गनागोर, चक्री, घूमर, झूमा आदि।
11.पंजाबनक़ल, भांड, भांगड़ा, गिद्दा, धमन, डफ
12.गुजरातडांडिया रास, गरबा, तिप्पानी ज्यूरिन, भवई
13.महाराष्ट्रगौरीचा, लावणी, पोवारा, मौनी, तमाशा, बोहड़ा, गाफा, नकटा, लेज़िम, कोली
14.कर्नाटकलंबी, यक्षगण, करगा, कुनिथा, हुत्तरी, सुग्गी
15.तेलंगानाकीसाबादी, पेरिनी शिवतांडवम
16.आंध्र प्रदेश वीरनाट्यम, कोलाट्टम, बुट्टा बोम्मालु, भामाकल्पम, घंटामर्दला, ओट्टम थेडल, विलासिनी नाट्यम, तप्पेटा गुल्लू, धिमसा, लम्बाडी, माधुरी, मोहिनीअट्टम, कुम्मी, डप्पू, सिद्धि, छडी
17.तमिलनाडुकवाड़ी, कोलाट्टम, कुमी, करगाम
18.केरलकैकोट्टिकाली, काली ऑट्टम, टप्पटिकली, ओट्टम थुलाल
19.गोवारणमाले, तोन्या मेल, समयी नृत्य, डाकनी, अमयी नृत्य, शिगमो, मोदनी, जागर, कुनबी, झागोर, तरंगमेल, घोडे, फुगड़ी, धनगर, खोल, मंडी, ढालो
20.हिमाचल प्रदेशछड़ी नृत्य, किन्नौरी, झिंता, धामन, महासू, झोरा, डफ, थोडा, झाली, छाढ़ी, थाली, चंबा, दांगी, छपेली
21.सिक्किमचटनी नाच, खुकुरी नाच, ताशी यांगकू, डेन्जोंग गनेन्हा, मारुनी नृत्य, याक चाम सिकमारी, याक चाम, सिंघी चाम या स्नो लायन, चू फाट
22.असमबिहू, नटपूजा, कलिगोपाल, खेल गोपाल, नागा नृत्य, महारास, बगुरुंबा, बिछुआ, तबल चोंगली, डोंगी, झुमुरा होबजानई आदि
23.मेघालयबाला, का शाद सुक माइन्सीम, नोंगक्रेम, लाहो
24.त्रिपुराहोजागिरी
25.मिजोरमसरलामकाई/सोलाकिया, चावंगलाइजॉन, चेराव नृत्य, खुल्लम, सावलकिन, तलंगलम, चेरोकन, जंगतलम, पाखुपिला, खानतम, पार लाम, चैलम
26.मणिपुररासलीला, डोल चोलम, खूबक इशी, नूपा डांस, खंबा थाइबी, लाई हरोबा, पुंग चोलोम, महा राश, रौखत, लू शा, नट रैश, राखल, थांग टा
27.नागालैंडगेथिंगलिम, ज़ेलियांग, नूरलीम, टेमंगनेटिन, एनसुइरोलियन्स, हेतलेउली, चोंग, खैवा, लिम, रंगमा, बांस नृत्य
28.अरुणाचलप्रदेशबारदो, मुखौटा नृत्य, युद्ध नृत्य, बुइया, पासी कोंगकी, पोंंग, पोपिर, वांचो, चलो, छम
भारतीय लोक नृत्य देश की विविधता और समृद्धता का प्रतीक हैं जो उसकी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत को नयी पीढ़ियों तक पहुँचाते हैं। इन नृत्यों में छिपी भावनाएँ, आदतें और संस्कृति की अनमोलता को संरक्षित रखने के लिए हमें इन्हें समर्पित रहना चाहिए और उन्हें अगली पीढ़ियों तक प्रचारित करने का प्रयास करना चाहिए। भारतीय लोक नृत्यों का यह विशाल संग्रह हमारी समृद्ध और विविध संस्कृति की अनमोल धरोहर है जिसे हमें सतत संरक्षित रखना चाहिए।

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